राहु / कुलिगई / यमगंडम

रविवार सोमवार मंगलवार बुधवार गुरुवार शुक्रवार शनिवार
राहु
10.30 AM – 12.00 PM
कुलिक
7.30 AM – 9.00 AM
यम गण्ड
3.00 PM – 4.30 PM
दिशाशूल
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उपाय
गुड़
राहु कुलिकै इमकंदम

राहु कुलिकै इमकंदम

राहु काल के अंतिम आधे घंटे को अमृत राहु कहा जाता है। यदि आप अपने शत्रुओं के कारण विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहे हैं, तो अमृत राहु चरण के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करने से आपको अपने शत्रुओं की परेशानियों से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। इसलिए, ऐसा नहीं कहा गया है कि किसी को कुछ भी नहीं करना चाहिए, चाहे वह कुलिगाई हो या इमाकंदन या फिर राहु काल के दौरान भी।

राहु कालम् क्या है?

राहु कालम् क्या है?

राहु कालम् (Rahu Kalam) हिंदू ज्योतिषशास्त्र में एक विशेष समयावधि को कहा जाता है, जो प्रत्येक दिन में एक निर्धारित समय पर आती है। यह समय राहु ग्रह के प्रभाव से माना जाता है, और इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने से परहेज किया जाता है। राहु काल का समय आमतौर पर लगभग 1.5 घंटे का होता है और यह दिन के विभिन्न भागों में बदलता रहता है, जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक होता है।

राहु काल की अवधि का निर्धारण सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय से किया जाता है। उदाहरण के लिए, सोमवार को राहु काल का समय अलग होता है और मंगलवार को अलग। यह काल एक प्रकार का "सावधान" समय माना जाता है, क्योंकि इस दौरान किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यों—जैसे यात्रा, शगुन, या खरीददारी—को करने से नकारात्मक परिणामों की संभावना मानी जाती है।

हालांकि, यह पूरी तरह से धार्मिक या सांस्कृतिक विश्वासों पर आधारित है, और ज्यादातर लोग इसे एक पारंपरिक अनुशासन के रूप में मानते हैं।

येमाकांडा क्या है

येमाकांडा क्या है

यमकंद (Yamakanda) एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है "यम" (मृत्यु का देवता) से संबंधित कोई कार्य या नियम। खासकर भारतीय ज्योतिष और तंत्रशास्त्र में इसे एक विशिष्ट काल या समय के रूप में देखा जाता है, जो किसी नकारात्मक प्रभाव से जुड़ा हुआ माना जाता है। यमकंद को अधिकतर उन समयों के साथ जोड़ा जाता है, जब किसी व्यक्ति के लिए शुभ कार्यों को करना सही नहीं माना जाता।

हालांकि, यमकंद का महत्व प्राचीन ज्योतिष में और तंत्र विधियों में विशेष रूप से देखा गया है, जहाँ यह मृत्युकाल, बुरे कर्मों या नकारात्मक समय से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह एक विशेष प्रकार के समय को इंगीत करता है, जब कोई नकारात्मक ऊर्जा या प्रभाव कार्य कर सकते हैं।

इसका सीधा संबंध राहु काल या यम काल जैसे अवधियों से होता है, जो कुछ खास समयों के लिए किसी भी शुभ कार्य से बचने का सुझाव देते हैं। यही कारण है कि यमकंद को भी एक ऐसी अवधि माना जाता है, जब किसी प्रकार का महत्वपूर्ण या शुभ कार्य करना टालने की सलाह दी जाती है।

इसकी व्याख्या प्राचीन भारतीय ज्योतिष में अलग-अलग रूपों में की जाती है, लेकिन आजकल यह शब्द ज्यादातर पारंपरिक मान्यताओं और धार्मिक अनुशासन से जुड़ा हुआ है।

कुलिगाई क्या है?

कुलिगाई क्या है?

ऐसा माना जाता है कि यदि आप कुलिगाई अवधि के दौरान कुछ शुरू करते हैं, तो यह बढ़ता रहेगा… चूंकि संपत्ति खरीदना, शुभ कार्यक्रम, ऋण चुकाना, जन्मदिन मनाना आदि कुलिगाई के शुभ समय के दौरान किए जाते हैं, न केवल वे बिना किसी बाधा के होते हैं, बल्कि वे किसी भी शुभ कार्य के लिए भी नहीं होते हैं। बाधा तो नहीं आएगी, लेकिन ऐसी अच्छी घटनाएं होती रहेंगी। लेकिन कुलिगाई का शुभ समय भी शुभ होता है। स्नान के समय जमा, कर्ज, मकान खाली करना और मृतक का शव ले जाना आदि कार्य नहीं करने चाहिए। तो..अब समय आ गया है कि कुलिगन नाम का आदमी जो भी छुए, उसे करे..