सितारों

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पूर्वाभाद्रपद
उत्तराभाद्रपद
रेवती
अश्वनी

अश्वनी

🌟 राशि: मेष

🌟 नक्षत्र देवता: अश्विनीकुमार

🌟 नक्षत्र स्वामी: केतु

ज्योतिष शास्त्र में सबसे प्रमुख और सबसे प्रथम अश्विन नक्षत्र को माना गया है। अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातक सामान्यतः सुन्दर ,चतुर, सौभाग्यशाली एवं स्वतंत्र विचारों वाले और आधुनिक सोच के लिए मित्रों में प्रसिद्ध होते हैं। इस नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति बहुत ऊर्जावान होने के सथ-साथ हमेशा सक्रिय रहता है। इनकी महत्वाकांक्षाएं इन्हें संतुष्ट नहीं होने देतीं। ये लोग सभी से बहुत प्रेम करने वाले, हस्तक्षेप न पसंद करने वाले, रहस्यमयी प्रकृत्ति के होते हैं। ये लोग अच्छे जीवनसाथी और एक आदर्श मित्र साबित होते हैं।

शिक्षा और आय

आपको हरफ़नमौला कहा जा सकता है, यानी सभी बातों में आपकी कुछ-न-कुछ पैठ ज़रुर होगी। शिक्षा के क्षेत्र में आपको पर्याप्त सफलता मिल सकती है और चिकित्सा, सुरक्षा विभाग, पुलिस विभाग, सेना, गुप्तचर विभाग, इंजीनियरिंग, अध्यापन, प्रशिक्षण आदि क्षेत्रों में भी आप हाथ आज़मा सकते है। साहित्य और संगीत के प्रति भी आपका ख़ासा लगाव होगा और आपकी आय के साधन भी एक से अधिक हो सकते हैं। तीस वर्ष की आयु तक आपको काफ़ी उतार-चढ़ाव देखने पड़ सकते हैं।

पारिवारिक जीवन

अपने परिवार से आप बेहद प्यार करते हैं लेकिन हो सकता है कि पिता की तरफ़ से आपका मन-मुटाव रहे, परन्तु मातृपक्ष के लोग आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहेंगे और परिवार से बाहर के लोगों से भी आपको काफ़ी मदद मिलेगी। आपका वैवाहिक जीवन सुखी दिखता है। पुत्रियों की अपेक्षा पुत्रों की संख्या अधिक हो सकती है।

प्रथम चरण : इसका स्वामी मंगल है। यह शारारिक क्रिया, साहस, प्रेरणा, प्रारम्भ का द्योतक है। जातक मध्यम कद, बकरे जैसा मुंह, छोटी नाक और भुजा, कर्कश आवाज, संकुचित नेत्र, कृश, धायल अथवा नष्ट अंग वाला होता है। इसके गुणदोष - शारारिक सक्रियता, साहस, प्रोत्साहन, आवेगी बली। भावनावश परिणाम की बिना चिंता कार्य है। जातक नृप सामान, निर्भीक, साहसी, अफवाहो के प्रति आकर्षित, मितव्ययी, वासनायुक्त, भावुक होता है।

द्वितीय चरण : इसका स्वामी शुक्र है। यह अवबोध, अविष्कार, साकार कल्पना का द्योतक है। जातक श्याम वर्णी, चौड़े कन्धे, लम्बी नाक, लम्बी भुजा, छोटा ललाट, खिले नेत्र, मधुर वाणी, कमजोर जोड़ वाला होता है। इसके गुणदोष - अवबोध, आविष्कारी, अश्विनीकुमार जैसी सदभावना, कल्पनाओ को साकार करना है। जातक धार्मीक, हंसमुख, धनवान होता है।

तृतीय चरण : इसका स्वामी बुध है। यह विनोद, संचार, फुर्ती, व्यापकता का द्योतक है। जातक काले बिखरे बाल, सुन्दर नेत्र व नाक, गौर वर्ण, वाकपटु, पतले जांध व नितम्ब वाला होता है।इसके गुणदोष - विनोद, आदान-प्रदान, विस्तीर्ण योग्यता, दिमागी फुर्ती है। जातक विद्वान, ज्ञानवान, भोजन प्रेमी, भौतिकवादी, अशांत, तर्क आधारी, साहसिक होता है।

चतुर्थ चरण : इसका स्वामी चन्द्र है। यह चेतना, भावुकता, सहानुभूति का द्योतक है। जातक व्याकुल नेत्र, साहसी, ठिगना, नट अथवा नृत्यक, भ्रमणशील; खुरदरे नख, विरल कड़े रोम, कृश, भाई हीन होता है।इसके गुणदोष - सामूहिक चेतना, महत्व, जानकारी, भावुकता है। जातक ईश्वर से डरने वाला, धार्मिक, पौरुषयुक्त, स्त्री संग प्रेमी, चरित्रवान, गुरुभक्त होता है।